
دوشنبه، ٥ اسفند ١٣٨٧
امروز، ٥ اسفند، جشن اسفندگان است. این جشن نیکو، زیبا و قشنگ گذشتگانمانرا به شما، بانوان و دوشیزگان و مادران عزیز و گرانبها شاد باش میگویم. ٥ اسفند روز گرامیداشت زمین در ایران باستان بوده. چون زمین عطاکنندهی مهر است و همهی انسانهارا در آغوش خود نگه میدارد و همچون مادر غمخوار و مهربان همیشه مارا در امان خود نگه میدارد، نیاکانمان بانوانرا در این روز گرامی میداشتند. این است که در این روز مردها تمام کارهای روزمرهی خانمان و مادرهایشانرا خود انجام میدادند و شوهرها به زنهایشان هدایایی پیشکش مینمودند.
متأسفانه ما امروز از پی همه چیز بیگانه هستیم و در سرزمین ما روز والنتاین نیز رایج شده. این در حالیست که ما نمیدانیم خودمان هم از چنین روزها فراوان در فرهنگمان داریم که پرمعناتر هستند و از فرهنگ و پارهای از هویت ما هستند. همان طوری که حافظ شیراز فرمده:
سالها دل طلب جام جم از ما میکرد
وآن چه خود داشت ز بیگانه تمنا میکرد
در این روز خجسته درود بیکرانرا به بانوان نازنین و سربلند و مادران مهربان و شیرزن ایرانزمین می فرستم و دست شمارا میبوسم. شما ستارهی درخشان این ملت هستید، که امید و آرزو برای آیندهی نیک ملترا در قلبهایمان جا دادهاید. به گفتهی شاعر شیرینسخن ایرانی میرزا ترسون زاده:
زن اگر آتش نمیبود خام میماندیم ما
نارسیده بادهای در جام میماندیم ما
زن اگر مارا نبخشید عمر با وفا،
بی تخلص، بی نسب، بی نام می ماندیم ما
امروز، ٥ اسفند، جشن اسفندگان است. این جشن نیکو، زیبا و قشنگ گذشتگانمانرا به شما، بانوان و دوشیزگان و مادران عزیز و گرانبها شاد باش میگویم. ٥ اسفند روز گرامیداشت زمین در ایران باستان بوده. چون زمین عطاکنندهی مهر است و همهی انسانهارا در آغوش خود نگه میدارد و همچون مادر غمخوار و مهربان همیشه مارا در امان خود نگه میدارد، نیاکانمان بانوانرا در این روز گرامی میداشتند. این است که در این روز مردها تمام کارهای روزمرهی خانمان و مادرهایشانرا خود انجام میدادند و شوهرها به زنهایشان هدایایی پیشکش مینمودند.
متأسفانه ما امروز از پی همه چیز بیگانه هستیم و در سرزمین ما روز والنتاین نیز رایج شده. این در حالیست که ما نمیدانیم خودمان هم از چنین روزها فراوان در فرهنگمان داریم که پرمعناتر هستند و از فرهنگ و پارهای از هویت ما هستند. همان طوری که حافظ شیراز فرمده:
سالها دل طلب جام جم از ما میکرد
وآن چه خود داشت ز بیگانه تمنا میکرد
در این روز خجسته درود بیکرانرا به بانوان نازنین و سربلند و مادران مهربان و شیرزن ایرانزمین می فرستم و دست شمارا میبوسم. شما ستارهی درخشان این ملت هستید، که امید و آرزو برای آیندهی نیک ملترا در قلبهایمان جا دادهاید. به گفتهی شاعر شیرینسخن ایرانی میرزا ترسون زاده:
زن اگر آتش نمیبود خام میماندیم ما
نارسیده بادهای در جام میماندیم ما
زن اگر مارا نبخشید عمر با وفا،
بی تخلص، بی نسب، بی نام می ماندیم ما
ما پاسدار و پاسبان همیشگی شما و این مرز و بوم هستیم. آسوده باشید...
Душанбе, 5 исфанди 1387
Имрӯз, 5 исфанд, ҷашни Исфандгон аст. Ин ҷашни некӯ, зебо ва қашанги гузаштагонамонро ба шумо, бонувону дӯшизагон ва модарони азизу гаронбаҳо шод бош мегӯям. 5 исфанд рӯзи гиромидошти замин дар Эрони Бостон буда. Чун замин атокунандаи меҳр асту ҳамаи инсонҳоро дар оғӯши худ нигаҳ медорад ва ҳамчун модари ғамхору меҳрабон ҳамеша моро дар амони худ нигаҳ медорад, ниёконамон бонувонро дар ин рӯз гиромӣ медоштанд. Ин аст, ки дар ин рӯз мардҳо тамоми корҳои рӯзмарраи хонумону модарҳояшонро худ анҷом медоданд ва шавҳарҳо ба занҳояшон ҳадоёе пешкаш менамуданд.
Мутаасифона, мо имрӯз аз пайи ҳама чизи бегона ҳастем ва дар сарзамини мо Рӯзи Волентин низ роиҷ шуда. Ин дар ҳолест, ки мо намедонем худамон ҳам аз чунин рӯзҳо фаровон дар фарҳангамон дорем, ки пурмаънотар ҳастанд ва порае аз ҳуввияти мо ҳастанд. Ҳамон тавре, ки Ҳофизи Шероз фармуда:
Солҳо дил талаби Ҷоми Ҷам аз мо мекард
В-он чӣ худ дошт, зи бегона таманно мекард
Дар ин рӯзи хуҷаста дуруди бекаронро ба бонувони нозанину сарбаланд ва модарони меҳрабону шерзани Эронзамин мефиристам ва дасти шуморо мебӯсам. Шумо ситораи дурахшони ин миллат ҳастед, ки умеду орзу барои ояндаи неки миллатро дар қалбҳоямон ҷо додаед. Ба гуфтаи шоири ширинсухани эронӣ, Мирзо Турсунзода:
Зан агар оташ намебуд, хом мемондем мо
Норасида бодае дар ҷом мемондем мо
Зан агар моро набахшид умри бо вафо,
Бе тахаллус, бе насаб, бе ном мемондем мо.
Имрӯз, 5 исфанд, ҷашни Исфандгон аст. Ин ҷашни некӯ, зебо ва қашанги гузаштагонамонро ба шумо, бонувону дӯшизагон ва модарони азизу гаронбаҳо шод бош мегӯям. 5 исфанд рӯзи гиромидошти замин дар Эрони Бостон буда. Чун замин атокунандаи меҳр асту ҳамаи инсонҳоро дар оғӯши худ нигаҳ медорад ва ҳамчун модари ғамхору меҳрабон ҳамеша моро дар амони худ нигаҳ медорад, ниёконамон бонувонро дар ин рӯз гиромӣ медоштанд. Ин аст, ки дар ин рӯз мардҳо тамоми корҳои рӯзмарраи хонумону модарҳояшонро худ анҷом медоданд ва шавҳарҳо ба занҳояшон ҳадоёе пешкаш менамуданд.
Мутаасифона, мо имрӯз аз пайи ҳама чизи бегона ҳастем ва дар сарзамини мо Рӯзи Волентин низ роиҷ шуда. Ин дар ҳолест, ки мо намедонем худамон ҳам аз чунин рӯзҳо фаровон дар фарҳангамон дорем, ки пурмаънотар ҳастанд ва порае аз ҳуввияти мо ҳастанд. Ҳамон тавре, ки Ҳофизи Шероз фармуда:
Солҳо дил талаби Ҷоми Ҷам аз мо мекард
В-он чӣ худ дошт, зи бегона таманно мекард
Дар ин рӯзи хуҷаста дуруди бекаронро ба бонувони нозанину сарбаланд ва модарони меҳрабону шерзани Эронзамин мефиристам ва дасти шуморо мебӯсам. Шумо ситораи дурахшони ин миллат ҳастед, ки умеду орзу барои ояндаи неки миллатро дар қалбҳоямон ҷо додаед. Ба гуфтаи шоири ширинсухани эронӣ, Мирзо Турсунзода:
Зан агар оташ намебуд, хом мемондем мо
Норасида бодае дар ҷом мемондем мо
Зан агар моро набахшид умри бо вафо,
Бе тахаллус, бе насаб, бе ном мемондем мо.
Мо посбону посдори ҳамешагии шумо ва ин марзу бум ҳастем. Осуда бошед...